रविवार, 6 अप्रैल 2008

नन्ही परी


झूठ मूठ का रोकर हम को ,बुद्धू बहुत बनाती है
गोद मे चढ़कर बाहर जाने , वो हरदम ललचाती है
जाने क्या क्या बोला करती ,बोली समझ न आती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी ,हमको बहुत लुभाती है !!
जब जी चाहा खुश होकर के ,सिर को खूब हिलाती है
पकड़ हाथ में दूध की बोतल ,डमरू सा लहराती है
नित-नित नई नई लीला करती ,मैया बहुत सिहाती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी ,हमको बहुत लुभाती है !!
कभी कूकती कोयल जैसी ,कभी फ़िर शोर मचाती है
कभी बैठती मेंढक जैसी ,कभी तैरन लग जाती है
देख नई चीजों को मुन्नी ,घुटनों दौड़ी आती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी हमको बहुत लुभाती है !!
होना खड़ा चाहती है पर ,बार बार गिर जाती है
बार बार गिर कर भी मुन्नी ,कोशिश करती जाती है
असफल होने वालों को यूं ,गुरुमंत्र सिखलाती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी ,हमको बहुत लुभाती है !!
नन्हें नन्हे हाथों से जब ,मूंछ को हाथ लगाती है
सारे जहाँ की खुशियाँ मानो ,मुफ्त हमें दे जाती है
हमको तो मुन्ने से ज्यादा ,मुन्नी अधिक सुहाती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी हमको बहुत लुभाती है !!
लोग हुए जाने क्यों पागल ,मुन्ना पाने की खातिर
जब कि 'कल्पना' जैसी बिटिया अन्तरिक्ष भी जाती है
खेल जगत में सानिया मिर्जा ,विश्व में धूम मचाती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी हमको बहुत लुभाती है !!
कभी 'किरण 'के डर के मारे ,गुंडा दल थर्राता है
कभी 'बचेन्द्री 'एवरेस्ट पर ,चढ़ कर नाम कमाती है
'महादेवी वर्मा 'की कविता ,पढी शान से जाती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी ,हमको बहुत लुभाती है !!
एक दिन ऐसा जरूर होगा ,लिंग-भेद मिट जाएगा
मुन्नी को मुन्ने के बराबर का दर्जा मिल जायेगा
''फकीर 'तेरी कविता अपना ,असर जरूर दिखाती है
नन्ही परी सी मुनियाँ रानी ,हमको बहुत लुभाती है !!

[के .पी .सिंह "फकीरा "]
अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ,ऍन -१६,अमलतास कालोनी .ग्वालियर [म .प्र ।]
''kp81_singh@yahoo.com'